सरकार का एक व्यापक सर्वेक्षण सामने आया है जिसमें सभी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। इस सर्वे में बताया गया है कि 5.7 करोड़ भारतीय गंभीर रूप से शराब और ड्रग्स की चपेट में हैं। जिन्हें कि इलाज की जरुरत है। वहीं 72 लाख शख्स भांग का, 60 लाख लोग नशीले पदार्थों और 11 लाख लोग दर्द निवारक गोलियों का इस्तेमाल करते हैं। इस सर्वे को 186 जिलों के 2 लाख घरों पर किया गया था। यह ड्रग और शराब की एक चिंताजनक तस्वीर दिखाता है। जिससे कि व्यक्तियों के स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता पर असर पड़ता है। सर्वे में 70,293 लोगों को अवैध दवाओं पर निर्भरता से पीड़ित पाया गया। भांग की वजह से प्रभावित लोग एक बढ़ती परेशानी हैं क्योंकि यह आसानी से शहरों और ग्रामीण इलाकों में मिल जाता है। इसे ड्रग का गेटवे माना जाता है। जिसके बाद व्यक्ति हार्ड ड्रग जैसे कि कोकिन और हीरोइन की तरफ जाता है। भांग की वजह से मूड और व्यक्तित्व विकार हो जाता है। पहली बार महिला उपयोगकर्ताओं का डाटा भी इकट्ठा किया गया है। डाटा दिखाता है कि शराब का सेवन सबसे ज्यादा पुरुष 27.3 प्रतिशत करते हैं वहीं 1.6 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं। डाटा से पता चला है कि सभी राज्यों में 6.4 प्रतिशत महिलाएं शराब पर निर्भर हैं। छत्तीसगढ़, त्रिपुरा और पंजाब के आधे से ज्यादा पुरुष शराब उपयोगकर्ता हैं। यूपी में सबसे ज्यादा 4.2 करोड़ उपयोगकर्ता हैं। इसके बाद 1.4 करोड़ के साथ पश्चिम बंगाल और 1.2 करोड़ के साथ मध्यप्रदेश का नंबर आता है। सर्वे से पता चला है कि अनुमानित 16 करोड़ उपयोगकर्ताओं में से 19 प्रतिशत शराब पर निर्भर करते हैं। शराब और ड्रग्स पर निर्भरता के अलावा 4.6 लाख बच्चे और 18 लाख वरिष्ठ नशीली दवाओं और इनहेलेंट्स पर निर्भर हैं। यह डाटा दिसंबर 2017 से अक्तूबर 2018 तक के बीच उपचार की सुविधाओं का अभाव भी दिखाता है। वहीं शराब पर निर्भर केवल 38 लोगों ने अपना इलाज करवाया है।
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