स्कॉच समूह की एक रिपोर्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना तथा केन्द्र सरकार की कुछ योजनाओं की बदौलत नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में बड़ा उछाल आया है। इस रिपोर्ट को स्कॉच समूह के अध्यक्ष समीर कोचर ने तैयार किया है। सोमवार को यहां आयोजित स्कॉच के 56वें शिखर सम्मेलन में जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की बदौलत ही योजना शुरू होने के शुरूआती दो वर्षों के दौरान 1.7 करोड़ नए रोजगार के अवसर सृजित हुए। उल्लेखनीय है कि मुद्रा योजना की शुरूआत अप्रैल 2015 में हुई थी। औपचारिक क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में कितनी वृद्घि हुई है, इसकी चर्चा रिपोर्ट में नहीं है। कोचर का कहना है इस क्षेत्र पर टिप्पणी करना थोड़ा मुश्किल है। जब यह पूछा गया कि इस क्षेत्र में रोजगार बढ़े या नहीं, इस पर भी उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। उनका कहना है कि रोजगार के क्षेत्र में स्थिति थोडी अलग है। रोजगार के अवसरों में वर्षवार कितनी बढ़ोतरी हुई, इस बारे में बड़ी मुश्किल से कोई ठोस आंकड़ा मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक मुद्रा योजना ही नहीं, बल्कि स्वयं सहायता समूहों की बदौतल भी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित हुए। वर्ष 2014-15 में स्वयं सहायता समूहों की संख्या 76.97 लाख थी जो कि 2017-18 में बढ़ कर 87.44 लाख हो गई। इनके खातों को बैंक से जोड़ने का लाभ हुआ। तभी तो आलोच्य अवधि में स्वयं सहायता समूहों की बचत राशि 9897.42 करोड़ रुपये से बढ़ कर 19592.12 करोड़ रुपये हो गई। इस दौरान सड़क बनाने की गति भी तेजी से बढ़ी, जिसकी वजह से रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई। ग्रामीण सड़कों के ललिए शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बात करें तो इस दौरान नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हर रोज 134 किलोमीटर सड़क बनायी गई। इससे पहले 2011 से 2014 के बीच हर रोज 73 किलोमीटर सड़क ही बन रही थी।
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