बुधवार को मध्यप्रदेश से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि उनके 84 वर्षीय पिता को बीते महीने 14 जनवरी को भोपाल के एक अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था, उनका इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा रहा है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेंद्र मिश्रा के पिता की मौत फेंफड़ों की बीमारी के चलते हो गई थी। मामला तब सामने आया जब मिश्रा के स्टाफ के लोगों ने इस बात की जानकारी अन्य लोगों को दी। ये दो स्टाफ मेंबर अधिकारी के दबाव में उनके मृतक पिता की सेवा कर रहे थे। जिसके बाद दोनों बीमार पड़ गए क्योंकि शव से काफी बदबू आ रही थी। मिश्रा से जब इस बारे में पूछा गया, जो अभी छुट्टी पर चल रहे हैं तो उन्होंने कहा, “यह एक निजी मामला है। मुझे नहीं पता अस्पताल के लोगों ने क्या कहा, लेकिन जब उन्होंने हमें उन्हें दिया (पिता का शव) तो हम घर ले आए और उनका इलाज आयुर्वेदिक डॉक्टर कर रहे हैं।” पिता के शव को दिखाने से अधिकारी ने मना कर दिया। मामले पर डॉक्टर डीके सतपथी का कहना है, “मैंने शव का निरीक्षण किया था। मेडिकल साइंस के मुताबिक वो जीवित नहीं थे। ये मामला मिश्रा के परिवार के विश्वास का है जो ये मान रहे हैं कि सीनियर मिश्रा (अधिकारी के पिता) समाधि पर हैं। जब मैंने शव का निरीक्षण किया था, तब वह अपघटित नहीं हुआ था लेकिन आज शव की क्या स्थिति हैं, मैं इसपर कुछ नहीं कह सकता।” सतपथी मिश्रा के फोन करने पर उनके घर भी गए थे। अस्पताल का कहना है कि मिश्रा के पिता की मौत के बाद उन्होंने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। बंसल अस्पताल के प्रवक्ता लोकेश झा का कहना है, “वह 13 जनवरी को अस्पताल में दखिल हुए थे। फेंफड़ों के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लाया गया था, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनका इलाज डॉक्टर अश्विनी ने किया था। मृत्य प्रमाणपत्र की एक कॉपी नगर पालिका और एक परिवार को दे दी गई है। अस्पताल पुलिस को भी कॉपी दिखाने को तैयार है।” पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि मिश्रा के पिता की मौत के बाद व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज आया था कि उनके पिता की मौत हो गई है और कुछ देर में अंतिम संस्कार होगा लेकिन बाद में मैसेज डिलीट कर दिया गया। मामले पर डीजीपी वीके सिंह का कहना है कि इस मामले में एडीजी मिश्रा से वरिष्ठ अधिकारी बात करेंगे।
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