हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक के अलावा भारतीय स्टेट बैंक को भी बड़ी चपत लगाई है। अपने भांजे नीरव मोदी के साथ फरवरी 2018 में 14000 करोड़ रुपये का घोटाला करने में फरार चल रहे मेहुल चोकसी ने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर एसबीआई से कर्ज लिया था। कर्ज की कुल रकम 405 करोड़ रुपये थी, जिसकी अदायगी अभी तक नहीं हुई है। एसबीआई ने कहा है कि चोकसी और उसके परिवार के सदस्यों ने लोन का पैसा चुकाया नहीं है। इसके बाद बैंक की तरफ से भेजा गया नोटिस भी वापस आ गया। स्टेट बैंक ने पिछले साल 31 दिसंबर को चोकसी और उनके रिश्तेदारों के आखिरी ज्ञात पते पर नोटिस भेजा था। लेकिन, ये नोटिस वापस लौट आए। बैंक ने कहा है कि अगर 60 दिनों के अंदर बकाया चुकता नहीं किया गया तो वह इन संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करेगा। चोकसी अब भारतीय नागरिक नहीं है। उसने एंटिगुआ एंड बारबुडा की नागरिकता ले ली है। निदेशालय इस घोटाले में अब तक पांच हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति देश-विदेश में जब्त की जा चुका है। जांच एजेंसियां पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप समेत कई देशों में चोकसी और नीरव मोदी की संपत्ति की निशानदेही में लगी हैं। चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ सरकार के समक्ष लगातार हाथ पांव मार रहे विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ऐसा लगता है कि मेहुल ने प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में भारतीय नागरिकता छोड़ने के लिए अपना पासपोर्ट जमा करा दिया है। प्रत्यर्पण संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रावधान साफ हैं। इसके प्रावधानों में अपराध करने वाले की नागरिक की नागरिकता की जगह उसके द्वारा किए गए अपराध की जगह की महत्ता होती है। इस हिसाब से साफ है कि एंटीगुआ की नागरिकता हासिल करने वाले मेहुल ने चूंकि भारत में अपराध किया है। ऐसे में बाद में भारत की नागरिकता छोडने के उसके फैसले से प्रत्यर्पण पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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