विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर पुराने सिस्टम (200 प्वाइंट रोस्टर) को बहाल करने संबंधी अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चुनावी हित साधने के लिए इस अध्यादेश को लाया गया है और यह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण विभागीय आधार पर होगा, न कि विश्वविद्यालय के आधार पर। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया था। इस कारण केंद्र ने अध्यादेश का रास्ता चुना। इस अध्यादेश के बाद विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पुराने तरीके से ही होगी। वकील पृथ्वीराज चौहान और प्रिया शर्मा ने अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रगतिशील और सही है।
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