राजस्थान में सियासी संकट के बीच कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट ने कहा है कि वह भले ही आहत हुए हैं, मगर भाजपा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। डिप्टी सीएम पद से हटाए जाने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब पायलट ने कहा, मै अशोक गहलोत से नाराज नहीं हूं और न ही किसी विशेष अधिकार या सुविधा की मांग ही की। मैं बस यही चाहता था कि चुनाव के दौरान राजस्थान की जनता से कांग्रेस ने जो वादे किए थे, उसे पूरा किया जाए। उन्होंने कहा, मैंने कई बार इन मसलों को सभी के सामने रखा। गहलोत से भी बात की। हालांकि, जब मंत्रियों और विधायकों की बैठक ही नहीं होती थी, तो बहस और बातचीत की जगह नहीं बची। ऊपर से राज्य की पुलिस ने मुझे राजद्रोह का नोटिस थमा दिया। इससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची। एक इंटरव्यू में पायलट ने कहा, गहलोत एक तरफ तो पूर्व मुख्यमंत्री की मदद कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास में काम करने की जगह नहीं दे रहे हैं। अफसरों को कहा गया कि मेरे आदेश न मानें, मुझे फाइलें नहीं भेजी जा रही थीं। महीनों तक विधायक दल या कैबिनेट की बैठक नहीं होती है। डिप्टी सीएम पद का क्या फायदा अगर मैं लोगों को किया गया वादा ही पूरा नहीं कर सकूं। पायलट ने कहा, हमने वसुंधरा राजे सरकार द्वारा अवैध खनन को पट्टे पर दिए जाने के खिलाफ अभियान छेड़ा और तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाया कि इन आवंटनों को रद्द किया जाए। सत्ता में आने के बाद अशोक गहलोत ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया और वह भी उसी राह पर चल पड़े। पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पुराने फैसले को पलटते हुए वसुंधरा राजे को बंगला खाली करने को कहा, लेकिन गहलोत सरकार ने फैसले पर अमल करने की बजाय इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश के आरोप पर कहा, इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है। मैंने राजस्थान में कांग्रेस को जिताने के लिए जीतोड़ मेहनत की है। मैं पार्टी के खिलाफ काम क्यों करूंगा? मैं अभी यही कहना चाहता हूं कि मैं अपने लोगों के लिए काम करता रहूंगा। पायलट से जब भाजपा नेताओं से मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैंने भाजपा के किसी नेता से मुलाकात नहीं की है। छह महीने से ज्योतिरादित्य सिंधिया या ओम माथुर किसी से नहीं मिला हूं।