Breaking News

नोएडा पुलिस का बर्बर चेहरा, फौजी की कर दी बेरहमी से पिटाई

उत्तर प्रदेश की पुलिस की दबंगई किस हद तक बढ़ सकती है, इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने देश की रक्षा करने वाले सैनिक की बर्बरतापूर्ण पिटाई कर दी. मामला नोएडा के थाना क्षेत्र जेवर का है.

डायल 100 जिप्सी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने एक फौजी से बर्बरतापूर्ण मारपीट की. फौजी का सिर्फ इतना कसूर था की पुलिस द्वारा लोगों से की जा रही अवैध उगाही का उसने विरोध किया था. इस विरोध के चलते फौजी को जिप्सी पर तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा इतना पीटा गया की वह बेहोश हो गया. जब उसकी आंख खुली तो वह थाना जेवर की सलाखों के पीछे था. यह सिलसिला यहीं तक नहीं थमा, इसके बाद पुलिस द्वारा फौजी को भिन्न धाराओं में जेल भी भेज दिया गया. जब फौजी जेल से जमानत पर छूट कर घर आया तो उसने आपबीती अपने परिवार को सुनाई. अब पीड़ित न्याय के लिए दर -दर की ठोकरें खा रहा है.

घायल युवक कोई और नहीं देश की सीमा पर तैनात रह कर देश की रक्षा करने वाला नीमका गांव जेवर का फौजी अनुज कुमार शर्मा है जो 48 वीं आरा बटालियन में सिग्नल डिपार्टमेंट में कांस्टेबल पद पर तैनात फौजी है. उसे कितने बर्बरतापूर्ण तरीके से पीटा गया इसका अंदाजा उसके शरीर पर लगी चोटों से लगाया जा सकता है. अनुज कुमार का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने डायल 100 गाड़ी पर तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों से की जा रही अवैध उगाही करने का विरोध किया था.

अनुज ने बताया कि 24 अगस्त शाम 7 बजे वह अपने घर जेवर से अपने खेतों पर घूमने जा रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने देखा कि काले रंग की डायल 100 गाड़ी पर तैनात पुलिसकर्मी लोगों को रोक कर अवैध उगाही कर रहे थे. अनुज कुमार शर्मा ने इसका विरोध किया जिससे तिलमिलाये पुलिसकर्मियों ने अनुज से पूछा की तू कौन है और उन्होंने बताया कि वह एक फौजी हैं तो पुलिसकर्मी आगबबूला हो गए और उस स्थान से 100 मीटर दूर सुनसान इलाके में ले जाकर अनुज को पीटना शुरू कर दिया. अनुज ने बताया, ‘जब मैंने इसका विरोध किया तो पुलिसकर्मियों ने एक पीसीआर और बुला ली. फिर लगभग आधा दर्जन पुलिसकर्मियों द्वारा मुझे इतना पीटा गया कि मैं बेहोश हो गया और जब मेरी आंख खुली तो मैं जेवर थाने के कटघरे में था. उसके बाद मुझे भिन्न धाराओं में फंसाकर जेल भेज दिया गया और पुलिस द्वारा धमकाया गया की यदि मज़िस्ट्रेट के सामने अपनी जुबान खोली तो मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी जाएगी. जब जमानत होने के बाद मैं मेडि‍कल कराने जिला अस्पताल गया तो डाक्टरों ने मेरा मेडिकल करने से यह कह कर मना कर दिया कि तुम्हारा मेडिकल तो जेवर अस्पताल में हो चुका है, जबकि मुझे यह तक नहीं पता कि मेरा मेडिकल कब हुआ.’

पीड़ित के भाई ने बताया, ‘मेरा भाई अनुज कुमार छुट्टी पर घर आया हुआ था. 24 अगस्त को शाम 7 बजे अपने घर से खेतों पर टहलने की बात कह कर निकला था, जब देर रात्रि तक वह घर वापस नहीं आया तो मैंने अपने भाई के मोबाइल पर संपर्क किया तो मोबाइल को बार-बार डिस्कनेक्ट कर दिया जाता रहा और फिर उसका मोबाइल बंद हो गया. सुबह किसी नंबर से मुझे फोन पर सूचना दी गई कि तुम्हारा भाई जेवर थाने में बंद है. तो हमने फोन करने वाले से थाने में बंद होने का कारण पूछा तो बिना कुछ बताए फोन काट दिया गया और जब मैंने जेवर थाने जाकर अपने भाई से मिलना चाहा तो मुझे मिलने नहीं दिया गया और पुलिस ने मुझसे बदसलूकी कर मुझे भगा दिया. मैं कल जमानत कराकर आज मेडिकल के लिए जिला अस्पताल भाई को लाया हूं, लेकिन डॉक्टरों ने मेडिकल करने से मना कर दिया है.’

इस घटना की जानकारी देने से पुलिस के आला अधिकारी बचते नजर आये और इस सम्बन्ध में जब हमने एस पी देहात सुनीति सिंह से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया की फौजी शराब के नशे में था और पुलिसकर्मियों से बदतमीजी करने लगा, जिसके चलते फौजी के विरुद्ध जेवर थाने में मामला पंजीकृत कर उसे जेल भेज दिया गया था. वह जमानत पर दो दिन बाद छूट कर वापस आया है.

लेकिन घायल फौजी की हालत देखने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस को इतना अधिकार है कि वह एक फौजी के साथ थर्ड डिग्री का स्तेमाल कर उसकी पुलिस बर्बरतापूर्वक पिटाई करे और इसकी जानकारी उसके परिजनों को भी न दे.

Check Also

एक्टिंग के बाद राजनीति में जलवा बिखेरेंगे अक्षय खन्ना, विनोद खन्ना की सीट पर लड़ सकते हैं चुनाव

पंजाब में भाजपा अपने पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *