लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू होने में भले ही अभी लगभग एक साल बचा हो, लेकिन अमेठी का सियासी अखाड़ा सजने लगा है। कांग्रेस व भाजपा में एक-दूसरे को पटकनी देने की कोशिश शुरू हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने इस संसदीय क्षेत्र में तीन दिन गुजार कर भाजपा तथा मोदी पर निशाना साधकर लौटे हैं।
अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी वहां पहुंच रहे हैं। इनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी जाएंगे। जाहिर है कि शाह व ईरानी न सिर्फ राहुल के हमलों का जवाब देंगे बल्कि अमेठी की दुश्वारियों को मुद्दा बनाकर उन्हें घेरेंगे भी।
ईरानी तो सोमवार को ही अमेठी पहुंच जाएंगी जबकि शाह, योगी व मौर्य मंगलवार को वहां जाएंगे और सभा करने के साथ ही कई विकास कार्यों की शुरुआत करेंगे। स्मृति ईरानी विधानसभा चुनाव के बाद बीते छह महीने में तीसरी बार अमेठी आ रही हैं तो शाह भी दूसरी बार यहां पहुंच रहे हैं।
अमेठी को लेकर भाजपा की सक्रियता अकारण नहीं है। लोकसभा की अमेठी व रायबरेली सीटें भाजपा के लिए हमेशा से राजनीतिक प्रतिष्ठा का प्रश्न रही हैं। देश को कांग्रेसमुक्त बनाने के नारे के साथ राजनीति कर रहे मोदी व शाह का ही नहीं, पूरे संघ परिवार का अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस को हराना सपना रहा है। ऐसा नहीं है कि अमेठी में भाजपा कभी जीती नहीं। 1998 में जीती भी, लेकिन संजय सिंह के विजयी होने के नाते वह भाजपा से ज्यादा अमेठी राजघराने की जीत थी।