वित्त मंत्री अरुण जेटली सुबह 11 बजे लोकसभा में देश का बजट पेश करेंगे। नरेंद्र मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में कल्याणकारी योजनाओं के साथ सुधारवादी कदमों का समावेश किए जाने की संभावना है। हालांकि बजट के फोकस में युवा, महिला, गांव, किसान, चिकित्सा और शिक्षा के ही रहने की आशा है क्योंकि वोट तो इन्हीं घोषणाओं से मिलेंगे, जबकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सुधारवादी कदम भी जरूरी हैं।
नई रोजगार नीति की हो सकती है घोषणा
पिछले कुछ दिनों से जिस तरह सरकार महिला कल्याण की बात कर रही है, उससे जाहिर है कि इस बजट के केंद्र में आधी आबादी के हित ही रहेंगे। तीन तलाक के मामले पर सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के दिल पहले ही जीत लिए हैं, बजट के जरिए बाकी महिलाओं को भी लुभाने की योजना है। आर्थिक सर्वेक्षण में भी सरकार की मंशा की भनक लगी जब सर्वेक्षण का न सिर्फ कवर पेज गुलाबी था, बल्कि उसमें एक पूरा अध्याय ही महिलाओं के मौजूदा हाल को समर्पित था। आखिर आधी आबादी को खुश करने से आधे वोट पक्के होंगेेऔर भाजपा की सत्ता में वापसी में कोई दिक्कत नहीं होगी। पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा तीन चौथाई सीटों पर विजय की एक बड़ी वजह तीन तलाक पर पार्टी का रुख रहा। देवबंद जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में भाजपा इसी वजह से जीती थी।
आयकर में छूट की उम्मीद
सरकार मध्य वर्ग को खुश करने के लिए इनकम टैक्स में छूट की मौजूदा सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख कर सकती है। साथ ही महिलाओं के लिए यह छूट 50 हजार रुपये और हो सकती है। उनकी सुरक्षा और रोजगार को लेकर भी कुछ योजनाओं की घोषणा हो सकती है।
युवाओं के लिए नई रोजगार नीति
नई रोजगार नीति की घोषणा हो सकती है। इसके तहत मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में रोजगार देने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट मिल सकती है। जो कंपनी जितने ज्यादा लोगों को नौकरी देगी, उसे टैक्स में उतनी ज्यादा छूट मिलेगी। सरकार का मानना है कि कॉरपोरेट टैक्स में थोड़ी छूट देने से निवेश को बढ़ावा मिलेगा और मैन्युफैक्चरिंग तेज होने से रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
शिक्षा बजट में होगी बढ़ोतरी
शिक्षा के बजट में 10-12 प्रतिशत की बढ़ोतरी किए जाने की आशा है। प्रधानमंत्री का फोकस खासकर उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाने पर है। एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी का बजट पिछले वर्ष 20 हजार करोड़ था जिसे पांच गुना बढ़ाकर एक लाख करोड़ किए जाने की संभावना है।
खेती की लागत घटाने पर जोर
ऊंची लागत और पैदावार के उचित दाम न मिलने से खेती गैरमुनाफे का काम बन गई है। लागत कम होने से मुनाफा भी बढ़ेगा। बजट में खाद एवं बीज जैसी चीजों पर सब्सिडी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम के माध्यम से सीधे किसान के खाते में देने की घोषणा हो सकती है, जिससे बिचौलियों या फैक्ट्रियों के बजाए सब्सिडी का लाभ सीधे किसान को मिले।