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कैसे घर-घर पहुंची Maggi, भारत में आए 35 साल हो गये

 

Maggi :

Maggi ने 1983 में भारत में कदम रखा था. आज मैगी को भारत में आए 35 साल हो चुके हैं. उस वक्त कंपनी ने बड़ा दांव खेला था, क्योंकि उन्हें शक था कि भारत में ये प्रोडक्ट चले. लेकिन मैगी जैसे ही आई तो मार्केट में धमाल मचा दिया. सभी लोग इसे पसंद करने लगे. भारत में आने के कुछ सालों बाद ही मार्केट में मैगी की 75% हिस्सेदारी हो गई. यानी पूरी दुनिया में मैगी खाने वाले 100 में से 75 लोग सिर्फ भारत से ही थे. आइए जानते हैं मैगी कैसे घर-घर पहुंची, किसने इसकी खोज की.

Maggi की खोज करने वाले जूलियस मैगी का जन्म 9 अक्टूबर 1846 में हुआ. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैगी ने पिता के बिजनेस में हाथ आजमाया. 1869 में उन्होंने पिता की आंटे की मिल में काम शुरू किया. मिलिंग उद्योग में उस वक्त भारी गिरावट आई और उनका काम ठप हो गया. जिसके बाद मैगी ने कोई दूसरा बिजनेस करने का सोचा. जिसके बाद उन्होंने फिजीशियन फ्रिडोलिन स्कूलर से हाथ मिलाया और दोनों ने 1884 में फलियों के आटे का काम शुरू किया. लेकिन वो बुरी तरह फेल हो गया.

नेस्ले वेबसाइट के मुताबिक, 1886 में रेडीमेड सूप बनाने का काम शुरू किया. मैगी का यह सूप लेग्युम मिल्स से बना हुआ था जिसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती थी. आगे चलकर जूलियस मैगी ने 1897 ने ‘मैगी GMBH’ नाम के साथ कंपनी रजिस्टर्ड कराई और फिर मैगी के बहुत सारे और भी प्रोडक्ट्स मार्केट में उतारे गए. 1947 में मैगी और उसके फॉर्मूले को नेस्ले ने खरीद लिया.  जिसके बाद नेस्ले ने मैगी का प्रमोशन किया और खूब विज्ञापन निकाले. जिमसें बताया गया कि ये एक न्यूट्रिशन फूड है जो लोग काफी बिजी रहते हैं उनके लिए बेस्ट है क्योंकि ये 2 मिनट में बन जाती है.

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