योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व सदस्य अरुण मैरा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी ने गरीबों को चोट पहुंचाई लेकिन उन्होंने उन्हें माफ कर दिया।
ऐसा इसलिए क्योंकि उनका (गरीब) मानना था कि वह उनके पक्ष में थे और यह कदम भ्रष्ट अमीर लोगों के खिलाफ था। मैरा के मुताबिक, हालांकि अभी तक यह पता हो जाना चाहिए कि इस कदम से अमीरों को चोट पहुंची या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘हमारे समाज के लोग अमीर लोगों से बहुत अधिक खिन्न हैं। मोदी और अन्ना हजारे जैसे अन्य लोग भी उन लोगों की सुन रहे थे, जो अमीरों और सरकार द्वारा बनाई गई एक ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ व्यवस्था से परेशान थे। और अन्ना हजारे का आंदोलन इसी के खिलाफ था। यह आंदोलन सरकार के खिलाफ ही नहीं बल्कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ भी था।’
मैरा ने आगे कहा, ‘इसलिए मोदी ने इस आंदोलन को अपनाया और उसका (भ्रष्टाचार) संदेश बनाया। संदेश यह फैलाया गया कि यह (नोटबंदी) उन लोगों को (अमीर) को चोट पहुंचाती है। इसलिए नोटबंदी से पीड़ित अन्य लोगों ने इसे ‘वाहवाही’ के रूप में लिया। यही कारण है कि मुझे लगता है कि हमारे जैसे अमीर लोग बेहतर सुनते हैं। नोटबंदी से हमें जागृत होना चाहिए था कि हमारे बारे में देश में एक बड़ी अशांती का माहौल है।’