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आखिरी सफर पर शहीद मेजर विभूति,आंखों में आंसू लिए पत्नी ने दिया अंतिम सैल्यूट

मेजर तेरा ये बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान। भारत माता की जय। पाकिस्तान मुर्दाबाद… जैसे नारों के बीच सोमवार देर शाम तिरंगे में लिपटे शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल के पार्थिव शरीर को उनके डंगवाल मार्ग स्थित आवास पर लाया गया। पति के शव के पास बैठी पत्नी बार-बार उनके कानों में ‘आई लव यू’ कहते दिख रही थीं। यह देख हर किसी की आखें नम हो गई। यहां सैकड़ों की संख्या में लोग भी पीछे-पीछे नारेबाजी करते हुए उनके घर के बाहर एकत्र हो गए। शहीद मेजर विभूति की अंतिम यात्रा आज सुबह शुरू हुई। इससे पहले सेना के अफसरों ने आवास पर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तमाम लोग अपनी छतों पर और सड़कों पर जमा हो गए। मौसम खराब होने के बावजूद भी लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद विभूति अमर रहे, भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीद की पत्नी, मां, दादी और बहनों ने उनके आखिरी दर्शन किए और श्रद्धांजलि दी। अंतिम दर्शन के समय पत्नी ने शहीद की तस्वीर को नमन किया। फिर उनके पार्थिव शरीर को चूमा, ‘आई लव यू’ कहा और एक टक देखती रही। उन्होंने खुद पति की अंतिम यात्रा की अगुआई की।और कहा जो चले गए उनसे कुछ सीखें, दुनिया में जो शहादत देते हैं, उनसे सीखना चाहिए। इसके बाद शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम यात्रा के लिए ले जाया गया। जहां से अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए प्रस्थान कर गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व विधानसभा अद्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल समेत कई मंत्री, विधायक, सेना, शासन प्रशासन के आला अधिकारी ने शहीद को श्रद्धांजलि दी।डोईवाला क्षेत्र के भानियावाला शहीद मेजर के अंतिम दर्शनों के लिये लोगों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। दोपहर 12 बजे शहीद की अंतिम यात्रा हरिद्वार पहुंची। यहां खड़ीखड़ी घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। डंगवाल रोड निवासी स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के पुत्र मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल सोमवार को पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। वे 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। मेजर विभूति 34 वर्ष के थे। अप्रैल 2018 में ही उनका विवाह फरीदाबाद निवासी निकिता कौल से हुआ था। निकिता कश्मीर विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखती हैं और दिल्ली में नौकरी करती हैं। मेजर विभूति जनवरी के पहले सप्ताह में अप्रैल में शादी की पहली सालगिरह पर देहरादून आने का वादा कर ड्यूटी पर गए थे। सोमवार सुबह उनकी शहादत की खबर पत्नी निकिता कौल के फोन पर मिली। निकिता उस समय दिल्ली जा रही थीं। खबर सुनकर किसी तरह उन्होंने मेजर विभूति की मां सरोज ढौंडियाल को फोन पर उनके पैर में गोली लगने और अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी। वह दिल की मरीज हैं, इसलिए देर शाम तक भी उन्हें शहादत की खबर नहीं दी गई थी। सोमवार शाम करीब 5:30 बजे शहीद का पार्थिव शरीर सेना के विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचा और देर शाम आवास पर लाया गया। देर शाम, शहीद मेजर की पत्नी निकिता और उनके परिजन भी देहरादून पहुंच गए। वे तीन बहनों के इकलौते भाई थे। पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल का 2012 में निधन हो चुका है। वे रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (वायुसेना) देहरादून में ऑडिटर के पद पर तैनात थे। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए मेजर विभूति ढौंडियाल के शहीद होने की खबर से उनका पैतृक गांव बमराड़ी शोक में डूब गया। सूचना मिलते ही गांव में निवास कर रहे शहीद मेजर विभूति के चाचा सुरेंद्र ढौंडियाल देहरादून के लिए रवाना हो गए हैं। ब
मराड़ी गांव के पूर्व प्रधान पूर्ण सिंह नेगी ने बताया कि मेजर विभूति का परिवार बहुत साल पहले देहरादून बस गया था। गांव में उनके चचेरे भाई का परिवार निवास करता है। विभूति पारिवारिक अनुष्ठानों में गांव आते थे। गांव के बेटे के शहीद होने पर उन्हें गर्व है, लेकिन गांव का बेटा खोने का दुख है। गांव में विभूति के शहीद होने की खबर मिलते ही मातम पसरा गया। घरों में चूल्हे भी नहीं जले। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए देहरादून निवासी मेजर विभूति ढौंडियाल की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत की आत्मा की शांति एवं दु:ख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुख की इस घड़ी में हम सब शहीद विभूति ढौंडियाल के परिवार के साथ है।

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