सोमवार को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटले हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बिल्डरों के पास खाली पड़ी जमीन को इस्तेमाल करनी की योजना बना रही है। केवल इतना ही सरकार यहां अटके हुए करीब तीन लाख फ्लैट्स का काम पूरा कर उनकी डिलीवरी तेज करने के लिए फंड बनाने पर भी विचार कर रही हैं। इस ओर कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सरकारी बैंकों के बीच सैक्टर के लिए स्ट्रेस फंड को लेकर बातचीत हुई है। ये बताया नहीं गया है कि स्ट्रेस फंड कितना होगा। शुरुआत में इसके एक से दो हजार करोड़ रुपये होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में हाउसिंग सेक्रेटरी डीएस मिश्रा भी शामिल थे। बैठक में हाउसिंग मिनिस्ट्री, एनबीसीसी और बैंकों से एक ऐसी योजना बनाने के लिए कहा गया है जिस पर तुरंत कदम बढ़ाया जा सके। खाली पड़ी जमीनों के इस्तेमाल के लिए बैठक में चर्चा हुई है कि इन्हें एनबीसीसी जैसी एजेंसियों को सौंपा जाएगा। ताकि एनबीसीसी इन जमीनों में संसाधन पैदा करे या फिर इन्हें विकसित कर 10-10 साल से अटके पड़े फ्लैट्स के निर्माण का खर्च जुटाए। जेपी इन्फ्राटेक, आम्रपाली और लोटस 3C की ग्रेनाइट गेट जैसी कंपनी इस वक्त दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। जिसके कारण इनके पास लोगों के 70 हजार फ्लैट फंसे हुए हैं। अतिरिक्त रकम लागकर भी फ्लैट्स का काम पूरा किया जा सकता है। अटके फ्लैट्स की संख्या इसलिए बढ़ गई है क्योंकि एक ओर बिल्डर पैसे जुटाने में असक्षम हैं, तो वहीं दूसरी ओर फ्लैट के निर्माण को लेकर होम बायर्स ने भी पेमेंट करना बंद कर दिया है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए कई प्रकार की योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अटके पड़े फ्लैट्स के काम को पूरा करना चाहते हैं। इस ओर सरकार ने एक साल पहले ही कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
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