जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले में 37 से अधिक जवानों के शहीद होने की आशंका है। वहीं सीआरपीएफ सूत्रों की माने तो अब तक 39 जवानों के शव बरामद कर लिए गए हैं। वहीं 5 जवानों के शवों का पता नहीं लग सका है। धमाका इतना भीषण था कि कई जवानों के शरीर के अवशेष भी मिलना मुश्किल हैं। वहीं इस धमाके में 40 से अधिक जवान घायल बताएं जा रहे हैं। सीआरपीएफ सूत्रों ने गुरुवार देर रात 37 जवानों के शहीद होने की पुष्टि की है। इसमें राठौर नितिन शिवाजी, भागीरथ सिंह, वीरेंद्र सिंह, अवधेश कुमार यादव, रतन कुमार ठाकुर, पंकज कुमार त्रिपाठी, जीत राम, अमित कुमार, विजय कुमार मौर्य, कुलविंद्र सिंह, मनेश्वर बसुमत्री, मोहन लाल, संजय कुमार सिन्हा, राम वकील, नसीर अहमद, जयमल सिंह, सुखजिंदर सिंह, तिलक राज, रोहिताश लांबा, विजय सोरंग, वसंत कुमार, सुब्रह्म्ण्यम जी, गुरु एच, नारायण लाल गुर्जर, महेश कुमार, प्रदीप कुमार, हेमराज मीणा, पीके साहू, रमेश यादव, संजय राजपूत, कौशल कुमार रावत, प्रदीप सिंह, श्याम बाबू, अजीत कुमार आजाद, मनिंदर सिंह, बब्लू संतरा, अश्विनी कुमार के शहीद होने की सूचना मिल रही है। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला करने की वारदात को सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। इससे घटना वाली जगह का भी चयन किया था, ताकि नुकसान ज्यादा हो। कई दिन बाद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के खुलने के बाद सीआरपीएफ का यह काफिला वीरवार तड़के करीब 3:30 बजे जम्मू से रवाना हुआ था। शाम तक उसके श्रीनगर पहुंचने की उम्मीद थी। मगर श्रीनगर से 31 किलोमीटर दूर पुलवामा जिले के लेथपोरा इलाके में आत्मघाती हमलावर ने दोपहर बाद 3:16 बजे काफिले को निशाना बनाया। सूत्रों के अनुसार करीब 250 किलो से अधिक विस्फोटक से लैस एक एसयूवी लेथपोरा में एक मोड पर थी, वहां से गुजर रहे सीआरपीएफ के वाहनों को निशाना बनाया। तीन गाड़ियां बुरी तरह से इस विस्फोट से प्रभावित हुई जिनमें दो गाड़ियां 54 और 35 बटालियन की थी। सूत्रों का कहना है कि यदि गाड़ियां नजदीक होतीं तो 10 से 12 निशाने पर आ सकते थे। अगर घटनाक्रम को गौर से देखा जाए तो जगह का चयन भी ऐसा किया गया था। चढ़ाई पर एक मोड़ था, जहां आतंकियों को पता था कि गाड़ियां वहां धीमी रफ्तार से पास होंगी। इसलिए आत्मघाती हमलावर ने भी उसी जगह को चुना ताकि ज्यादा नुकसान हो सके।
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