कुंभ मेला क्षेत्र में विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद के दूसरे दिन राम मंदिर निर्माण पर बड़े फैसले आने की संभावना है। कुंभ क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमाया हुआ है। पहले दिन इसे हिंदुओं की आस्था पर चोट करार देते हुए अयोध्या जैसे आंदोलन की घोषणा की गई। स्वामी वासुदेवानंद की अध्यक्षता तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत, योग गुरु रामदेव समेत अनेक साधु संतों की मौजूदगी में ‘हिंदू समाज के विघटन का षड्यंत्र रोकने’ का प्रस्ताव भी पारित किया गया। गुरुवार को पूरे दिन कवायद चलती रही। संघ, सरकार और संत तीनों अपनी-अपनी जिम्मेदारी के अनुसार रणनीति बनाने में व्यस्त रहे। इस कवायद से यह बात निकलकर आई है कि कुंभ क्षेत्र में मंदिर पर कोई चौंकाने वाला फैसला आ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत की करीब डेढ़ घंटे तक चली वार्ता का मुख्य विषय था। राम मंदिर निर्माण। मुख्यमंत्री कुंभ क्षेत्र में संघ प्रमुख से मिलकर मंदिर मसले पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करने आए थे। मुख्यमंत्री ने संघ प्रमुख से बताया कि सरकार मंदिर निर्माण करने पर दृढ़ प्रतिज्ञा है, लेकिन कोर्ट की वजह से इसमें समय लग रहा है। इस वजह से सरकार चाहकर भी इसमें जल्दीबाजी नहीं कर पा रही है। इसी तरह संतों से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने मंदिर निर्माण पर सरकार का समर्थन मांगा। योगी ने शंकराचार्य निश्चलानंद को आश्वस्त किया कि अयोध्या में मंदिर अवश्य बनेगा लेकिन इसमें उसे मोहलत चाहिए। केंद्र और प्रदेश सरकार की निगाह भी धर्म संसद पर लगी हुई है। पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद संतों, संघ, विहिप पदाधिकारियों के बीच उपस्थित रहे। प्रदेश सरकार के दोनों अहम व्यक्तियों की कोशिश रही कि मंदिर को लेकर संतों का समर्थन हासिल कर सकें। बताया जा रहा है कि पीएमओ भी कुंभ नगर में मंदिर मसले को लेकर क्या-क्या चल रहा है, इसकी लगातार रिपोर्ट ले रहा है।
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