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वायुसेना में शामिल होने के लिए भारत पहुंचे 4 चिनूक हेलीकॉप्टर,जानिए खासियत

रविवार को एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने भारतीय वायुसेना के लिए प्रथम चार सीएच-47 एफ मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर के गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पहुंचने की घोषणा की है। बोइंग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि सीएच-47 एफ चिनूक को चंडीगढ़ भेजा जाएगा, जहां इन्हें औपचारिक रूप से इस साल के अंत में भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। बयान में आगे कहा गया है, ‘सीएच-47 एफ चिनूक एक उन्नत मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर है, जो भारतीय सशस्त्र बलों को लड़ाकू और मानवीय मिशनों के पूरे स्पेक्ट्रम में बेजोड़ सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता प्रदान करेगा।’

खासियत

  • यह एक मल्टीमिशन श्रेणी का हेलीकॉप्टर है।
  • पहले चिनूक ने 1962 में उड़ान भरी थी। यह एक मल्टीमिशन श्रेणी का हेलीकॉप्टर है।
  • चिनूक हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना की खास ताकत है। इसी चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था। वियतनाम से लेकर इराक के युद्धों तक शामिल चिनूक दो रोटर वाला हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर है।
  • भारत ने जिस चिनूक को खरीदा है, उसका नाम है CH-47 एफ है।
  • यह 9.6 टन वजन उठा सकता है, जिससे भारी मशीनरी, तोप और बख्तरबंद गाड़ियां लाने-ले जाने में सक्षम है।
  • इससे पहले अमेरिका के फिलाडेल्फिया में बोइंग ने इसी हफ्ते भारत को पहले चिनूक हेलिकॉप्टर की खेप आधिकारिक रूप से सौंप दी थी।
  • डील के मुताबिक, इस साल के अंत तक भारत को सभी अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर मिल जाएंगे। इससे वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा।
  • बोइंग के मुताबिक, अपाचे दुनिया के सबसे अच्छे लड़ाकू हेलिकॉप्टर माने जाते हैं। वहीं, चिनूक हेलिकॉप्टर बहुत ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है।
  • चिनूक भारी-भरकम सामान को भी काफी ऊंचाई पर आसानी से पहुंचा सकता है। अमेरिकी सेना लंबे वक्त से अपाचे और चिनूक का इस्तेमाल कर रही है।
  • भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 14वां और चिनूक को इस्तेमाल करने वाला 19वां देश होगा।

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