गैस उत्पादक कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2019 से घरेलू परियोजनाओं की प्राकृतिक गैस की कीमत में इजाफा कर सकती है। गैस की कीमतों को 10 फीसदी बढ़ाकर 3.72 डॉलर प्रति इकाई एमएमबीटीयू किया जा सकता है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार के इस कदम से ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी गैस उत्पादक कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, कठिन क्षेत्रों से उत्पादित होने वाली गैस की दर भी बढ़ाकर करीब 9 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की जा सकती है। फिलहाल यह 7.67 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है। अगर ऐसा हुआ तो लगातार चौथी बार गैस की कीमतों में इजाफा होगा। प्राकृतिक गैस की कीमतें हर छह महीने में 1 अप्रैल और 1 अक्तूबर को तय की जाती है। इसके लिए प्राकृतिक गैस की कीमतें गैस बेचने वाले अमेरिका, रूस और कनाडा जैसे देशों के गैस बिक्री केंद्रों में गैस की औसत दरों के आधार तय की जाती हैं। इसलिए इस बार 1 अप्रैल से 30 सितंबर की अवधि के लिए पिछले साल 1 जनवरी से 1 दिसंबर की अवधि में इन केंद्रों की कीमतों के भारित अवसर के आधार पर तय होगी। सरकार द्वारा प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने से भले ही बड़ी कंपनियों को लाभ होगा, लेकिन आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से सीएनजी के दाम बढ़ेंगे जिससे वाहनों को चलाना महंगा हो जाएगा। घरों में खाना बनाने के लिए आपूर्ति होने वाले पीएनजी गैस के दाम भी बढ़ जाएंगे। इसके अलावा उर्वरक के उत्पादन में भी गैस का बड़ा इस्तेमाल होता है। इससे उर्वरकों के दाम पर भी असर आएगा। प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से ओएनजीसी जैसी गैस उत्पादकों को मुनाफा होगा। गैस की कीमत में हर डॉलर की वृद्धि से ओएनजीसी को सालाना आधार पर 4,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। सूत्रों के मुताबिक, ओएनजीसी देश का सबसे बड़ा गैस उत्पादक है। उसकी प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता 7 करोड़ से अधिक मानक घन मीटर की दो-तिहाई है।
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