जब भी पुराने मिस्र की बात होती है, दिमाग में नीले और सुनहरे रंग का मुखौटा और पिरामिड आता है। साथ ही, मिस्र के राजा के नाम पर तूतेनखामेन ही याद आता है। ये नीला और सुनहरा मुखौटा तूतेनखामेन राजा का था। तूतेनखामेन और उससे जुड़ी चीजें मिस्र के इतिहास का जैसे प्रतीक बन चुके हैं। हर जगह सिर्फ उसे देख कर लगता है कि वो कितना प्रतापी राजा रहा होगा। लेकिन सच तो या कि वो बस एक बच्चा था। ये मिस्र का इकलौता ऐसा राजा है, जिसकी हड्डियां और मकबरे का अधिकतर सामान सही-सलामत हालत में मिला है। तूतेनखामेन को खोजने में बहुत वक्त लग गया था। खास वजह ये थी कि उसका मकबरा एक दूसरे मकबरे के नीचे छुपा हुआ था। राजा ‘रमेसेस छठे’ के मकबरे को खोदते वक्त जो मिट्टी निकली थी, उसे तूतेनखामेन के मकबरे के पर ही फेंक दिया गया था। दरअसल, तूतेनखामेन आज से 3000 साल से भी पहले राजा बना था। उस वक्त वो सिर्फ दस साल का बच्चा था और 17 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई थी। तूतेनखामेन प्राचीन मिस्र के 18वें राजवंश के 11वें राजा थे। उसकी शोहरत इस बात को लेकर भी ज्यादा है क्योंकि तूतेनखामेन की कब्र लगभग सही सलामत अवस्था में मिली थी। साल 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद होवार्ड कार्टर ने तूतेनखामेन के मकबरे की खोज की थी। तूतेनखामेन की मौत को लेकर अलग-अलग किस्से हैं। कोई कहता है कि उसकी हत्या की गई, तो कोई कहता है कि शिकार के दौरान घायल होने के बाद मौत हुई थी। जब तूतेनखामेन की कब्र को खोदने का काम चल रहा था, उस दौरान इस मिशन से जुड़े कई लोगों की मौत की खबर आई थी। इसे ‘वैली ऑफ किंग्स’ की खोज कहा गया था। जब कई लोगों की संदिग्ध मौत के बाद इस मिशन में पैसे लगाने वाले ब्रिटिश रईस लॉर्ड कार्नारवॉन की भी मच्छर काटने से मौत हो गई, तो इसे फराओ तूतेनखामेन के श्राप का नतीजा बताया गया।
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